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तिरुपति बालाजी के प्रसादम में चर्बी। 

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तिरुपति बालाजी

क्या हिन्दुओ को फर्क पड़ता है ?स्वाद के आगे बेबस हिन्दू आस्था।

तिरुपति बालाजी के प्रसादम में गाय की चर्बी होने की खबर ने अचानक करोडो हिन्दुओ की आत्मा को अंदर तक हिला दिया है। आस्था की चूलें हिल गई हैं  ।

 गुस्से और क्रोध में हर हिन्दू जल रहा है। ऐसा सोचना गलत होगा। कितने तिरुपति बालाजी के भक्त हैं, जो राजनीति से सम्बंधित नहीं है, और विरोध करने सड़क पर उतरे हों ? हिन्दुओं की आस्था मात्र राजनैतिक और फिल्मों तक ही सीमित है। तिरुपति बालाजी के प्रसादम में चर्बी का मामला भी राजनैतिक है। लेकिन फिर भी मामला आस्थाओं का तो है ही। तिरुपति बालाजी के प्रसादम में पशु चर्बी का पाया जाना कई राजनैतिक सवाल भी उठा रहा है। 

तिरुपति बालाजी

*मुख्यमंत्री  चंद्रबाबू नायडू ने दो महीने पहले आयी रिपोर्ट को अब जारी क्यों किया। यह टाइमिंग पर सवाल है.

मुख्यमंत्री नायडू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की ?

प्रसादम की जाँच गुजरात की प्रयोगशाला में ही क्यों की गई। जबकि प्रदेश में हैदराबाद में स्थित  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूट्रिशन में प्रसादम  का हर बेच का सेम्पल टेस्ट होता है। 

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क्या सेम्पल और भी लेब में भेज कर रिपोर्ट की पुष्टि की गई है ?

नोट – गाय के 1 किलो दूध में अधिकतम  5-6 प्रतिशत फैट होता है। जिससे ही मक्खन और घी बनता है। दूध का बाजार मूल्य न्यूनतम 30 रुपए भी माना  जाये तो एक लीटर मक्खन के लिए न्यूनतम 20 लीटर लगता है। यानि कि  मक्खन के लिए कच्चे माल की कीमत 600 रु है। अब इसको प्रोसेस करके घी बनाने की लागत ,पैकिंग ,और यातायात का खर्च मिलायें  तो भी घी के दाम 800 से 1000 रु होने चाहिए ( नोट यह लागत दूध से क्रीम निकलकर बटर आयल बनाने विधि का है। बिलोने के घी की लागत और बढ़ जाएगी) अब आप बाजार से घी किस भाव में लाते हैं  ?तो क्या वह शुद्ध होगा ?

खैर  जो भी हो फूडमेन  को इस बात की खुशी है कि  खाने पीने में होने वाली मिलावट को मुख्यधारा मिडिया में पहली बार धर्म से जोड़ कर दिखाया गया है।  

तिरुपति बालाजी

लेकिन स्वाद के आगे हम हिन्दू बेबस हो जाते हैं। और यह सच्चाई भी है। राजीव दीक्षित जी ने अपने पूरे जीवन काल में हिन्दुओं को बड़े बड़े कॉर्पोरेट घरानो के खाद्य उत्पादों के बारे में जानकारियां दी                     उन्होंने तब बता दिया था कि  बोर्नविटा में क्या है ,चॉकलेट में क्या है ,चिप्स ,में कोल्ड ड्रिंक ,में टूथपेस्ट में क्या है और ,मैग्गी में क्या है।  लेकिन कितने हिन्दू जगे ? राजीव दीक्षित की हत्या कर दी जाती है। लेकिन कितने हिन्दू जगे ?

अब जब सोशल मिडिया का दौर है कितने ही फ़ूड एक्टिविस्ट अपने विडिओ ब्लॉग व लेखो में बताते रहते है कि किस चीज में क्या मिला है। और कहाँ कहाँ नॉनवेज पदार्थ मिलाया हुआ  है। लेकिन कितने हिन्दू जगे ?

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जब नकली मक्खन और पनीर से बने खाद्य पदार्थ को फ़ूड ब्लॉगर वाह वाह करके दिखाते हैं , तब हिन्दू की जुबान पनीर और मक्खन के स्वाद के लिए तड़प उठती है। प्रिंट मिडिया में कई बार स्थानीय मिलावट खोरों पर हुवे छापो के समाचार देखे जा सकते हैं। लेकिन कितने लोगो ने या हिन्दुओ ने उस दुकान का खाना छोड़ा है या दुकान के प्रति विरोध जताया है। 

बात धार्मिक रूप से खानपान के विषय से भी आगे की भी की जाए तो भी कितने ही पढ़े लिखे लोग अपने खान पान के बारे में और उसमे मिले सामग्री के बारे में जानते हैं  या समझते हैं । 

तिरुपति बालाजी

हिंदू  महिलाओ को बताया गया कि कई लिपस्टिक ब्रांडो में गौमांस या गाय की चर्बी होती है। उसका जो लाल रंग होता है वो एक कीड़े को पीस कर निकाला जाता है। सौन्दर्य उत्पादों  में जैसे क्रीम फेसवाश ,लोशन में गाय की चर्बी का उपयोग होता है। तो कितने  हिन्दुओ ने ऐसे उत्पादों का बहिष्कार किया। कई दवाओं में गाय की चर्बी व अन्य चर्बी का उपयोग होता है। लेकिन कितने हिन्दुओ ने अपनी जान से बढ़ कर आस्था को माना है  ?

रोज सुबह उठने के बाद टूथपेस्ट ,शेविंग क्रीम ,साबुन ,शेम्पू ,घी ,तेल ,बाजार के मक्खन ,पनीर आदि में गाय की चर्बी का उपयोग होता है। लेकिन कितने हिन्दू जगे। 

बाजार में मंचूरियन ,पावभाजी चाट पकोड़े मजे से खाने वाले  कितने हिन्दू जगे ?

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अगर धर्म भ्रष्ट होने की कोई निशानी चेहरे पर आ जाती तो आज कई  हिन्दू मुँह दिखाने के लायक नहीं होते।

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